मुझे पूरी किताब पढ़ने के बाद ये हैरत है कि इस किताब को लिखने वाले मुसन्निफ़ R Bakht मुसलमान हैं या ईसाई।
इन्होंने अल्लाह के खलील पर बोहतान करने के अलावा बीबी सारा और बीबी हाजरा अलैहिस्सलाम की भी आम औरतों जैसी तस्वीर खिंची है जो एक दूसरे से इंसानियत की हद पार कर जलन और नफरत करती हैं, और हज़रत इस्माईल अलैहिस्सलाम के मामले में तो बेअदबी और गुस्ताख़ी की सारी हद पार हो गयी।
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मुझे पूरी किताब पढ़ने के बाद ये हैरत है कि इस किताब को लिखने वाले मुसन्निफ़ R Bakht मुसलमान हैं या ईसाई।
इन्होंने अल्लाह के खलील पर बोहतान करने के अलावा बीबी सारा और बीबी हाजरा अलैहिस्सलाम की भी आम औरतों जैसी तस्वीर खिंची है जो एक दूसरे से इंसानियत की हद पार कर जलन और नफरत करती हैं, और हज़रत इस्माईल अलैहिस्सलाम के मामले में तो बेअदबी और गुस्ताख़ी की सारी हद पार हो गयी।
सबसे हैरत की बात ये कि पूरी किताब में बुत तोड़ने और नमरूद के वाक़ये का कोई जिक्र नहीं, जिसे क़ुरआन में बड़ी अहमियत दी गयी है
Sahi kaha